बुधवार, 18 जून 2008

साहित्य सृजन –जून 2008



मेरी बात
सुभाष नीरव


हिंदी में नित नए ब्लाग्स देखने को मिल रहे हैं। नेट की थोड़ी-सी जानकारी रखनेवाला हर व्यक्ति अपना ब्लाग बना रहा है। इस उत्साह का स्वागत किया जाना चाहिए। लेकिन इनमें से अधिकांश ब्लाग्स ‘विज़न’ और सार्थक उद्देश्य के अभाव में ब्लाग की दुनिया में अपनी पुख़्ता पहचान नहीं बना पा रहे हैं। अधिकांश ब्लाग्स पुराने ब्लाग्स की लीक पर होते हैं और उनमें नया कुछ देखने को नहीं मिलता। व्यूअर्स में ऐसे ब्लागों को एक बार क्लिक करने के बाद दुबारा क्लिक करने की इच्छा नहीं होती। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि ब्लाग्स की दुनिया में अपनी उपस्थिति दर्ज़ करानेवाले सभी ब्लाग्स ऐसे ही होते हैं। साहित्य, कला, संगीत और पत्रकारिता के क्षेत्र के अलावा अब नए विषय क्षेत्रों में भी ब्लाग्स अपनी दस्तक देने लगे हैं। अध्यापकों, डाक्टरों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, भाषाविदों, अर्थशास्त्रियों का अपने-अपने विषय को लेकर ब्लाग की दुनिया में आना एक सुखद अहसास दिलाता है। नि:संदेह इनके विषय ही नए नहीं हैं, इनके पीछे ब्लार्ग्स की एक स्पष्ट दृष्टि भी है।
इन दिनों ‘वेब’ और ‘ब्लाग’ की दुनिया में आडियो प्रस्तुतियों की भी बड़ी शिद्दत से ज़रूरत महसूस की जा रही है। पिछले दिनों डेनमार्क की एक वेब साइट “रेडियो सबरंग” पर संयोग से जाने का अवसर मिला। इस आडियो साइट का संचालन डेनमार्क निवासी चाँद शुक्ला और यू के निवासी प्राण शर्मा कर रहे हैं। “सुर संगीत”, “कलामे शायर”, “सुनो कहानी” और “भूले बिसरे गीत” में बंटी इस आडियो वेब साइट को 27 देशों में सुना और सराहा जा रहा है। यहाँ आप “सुर संगीत” के अन्तर्गत निदा फ़ाजली, ऊषा राजे सक्सेना, तेजेन्द्र शर्मा, पूर्णिमा वर्मन, दीप्ति मिश्रा की ग़ज़लों और गीतों को जगजीत सिंह, गुलाम अली, मिथिलेश तिवारी, मित्तल और अर्पण की मधुर आवाज़ों में लुफ़्त उठा सकते हैं, “कलामे शायर” के अन्तर्गत आप हिंदी-उर्दू के मशहूर शायरों-कवियों जैसे नीरज, कुअंर बेचैन, लता हया, राजेश रेड्डी, डा0कीर्ति काले, हस्तीमल हस्ती, लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, अंजना संधीर, ओम प्रकाश यति और ममता किरण आदि के कलामों को उन्हीं के स्वर में सुन सकते हैं। इस साइट पर कहानी विधा को भी तरज़ीह दी गई है। कुछेक बरस पहले हिंदी-उर्दू के प्रमुख कहानीकारों की चुनिन्दा कहानियों के कैसेट्स तैयार करने का बीड़ा हिंदी लेखिका मणिका मोहनी ने उठाया था जिनमें मंटो, कृश्नचंदर, कमलेश्वर आदि की कहानियों के आडियो कैसेट्स तैयार किए गए थे,परन्तु यह प्रयोग सफल न हो सका। रेडियो-सबरंग में “सुनो कहानी” से अन्तर्गत अब तक इला प्रसाद, एस आर हरनोट और वीना उदित की कहानियाँ उन्हीं की ज़ुबानी सुनी जा सकती हैं। भविष्य में उम्मीद की जा सकती है कि इसमें हिंदी-उर्दू के नए-पुराने कहानीकार भी जुड़ेंगे। साहित्यिक रचनाओं को सुनने का शौक रखने वाले श्रोता “रेडियो सबरंग” के इस प्रयास नि:संदेह पसंद कर रहे हैं। आप भी इस साइट पर यहाँ क्लिक करके जा सकते हैं।

ब्लाग की दुनिया में भी अभी हाल ही में इस महत्वपूर्ण कार्य की एक अनौखी और लीक से हटकर शुरूआत हुई है। “आर्ट आफ़ रीडिंग” नाम का यह आडिओ ब्लाग मुनीश, इरफ़ान और विकास कुमार के साझे प्रयासों का ही प्रतिफल है। “आर्ट आफ़ रीडिंग” पूरी तरह सुनने-गुनने का ब्लाग है। यहाँ त्रिलोचन की ग़ज़ल है, रघुवीर सहाय की कविता ‘एक दिन आता है’ और ‘किताब पढ़कर रोना’, विनोद कुमार शुक्ल की कविता ‘जो मेरे घर कभी नहीं आएंगे’ और ‘बंदर चढ़ा पेड़ पर’, राजेश जोशी की कविता ‘पत्ता तुलसी का’, मंगलेश डबराल की कविता ‘केशव अनुरागी’, आलोक धन्वा की कविता ‘गोली दागो पोस्टर’ और गोरखपांडे की कविता ‘बंद खिड़कियों से टकराकर’ का दमदार और प्रभावशाली आवाजों में आप आस्वाद ले सकते हैं। इसके अतिरिक्त, भगवती चरण वर्मा की प्रसिद्ध कहानी ‘दो बांके’ और ‘इंस्टालमेंट’, सियारामशरण गुप्त की कहानी ‘काकी’, मंटो की कहानी ‘बू’ और ‘धुआँ’, रामलाल का अफ़साना ‘अंधेरे से अंधेरे की तरफ’, उदय प्रकाश की कहानी ‘दरियाई घोड़ा’, उर्दू के मशहूर लेखक इब्ने इशां की किताब ‘उर्दू की आख़िरी किताब’ के कुछ हिस्से और श्रीलाल शुक्ल के बहुचर्चित उपन्यास ‘राग दरबारी’ के अंश की किस्सागोई अंदाज में प्रभावकारी प्रस्तुतियाँ सुन आप मुग्ध हो जाएंगे। इन समस्त साहित्यिक रचनाओं में जान फूंकने का श्रेय जाता है - मुनीश, इरफ़ान, अतुल आर्य, अर्पणा घोषाल, राखी, अश्विनी वालिया और पूनम श्रीवास्तव को जिन्होंने अपनी दमदार और प्रभावशाली आवाज़ में बहुत ही सुन्दर प्रस्तुतियाँ की हैं।
इस आडियो ब्लाग में एक नया फ़ीचर भी अभी हाल में ही जोड़ा गया है। नाम है- संडे स्पेशल। यह ब्लागरों के लिए एक महत्वपूर्ण फ़ीचर है। इसके अन्तर्गत हर रविवार को किसी भी ब्लाग की एक अच्छी पोस्ट को चुनकर उसे ‘आर्ट आफ़ रीडिंग’ में पाडकास्ट की शक्ल में ध्वन्यात्मक प्रस्तुति की जाती है। अभी हाल ही में सामने आए एक नये ब्लाग “मातील्दा” में ‘शायदा’ की कलात्मकता और काव्यात्मकता से भरपूर खूबसूरत पोस्ट “एक घर है जो हवा में तैरता है” को गत संडे इस फ़ीचर के अन्तर्गत इरफ़ान ने अपनी दमदार आवाज़ में प्रस्तुत करके और अधिक प्रभावकारी बना दिया है।
नि:संदेह आडियो फ़ाइलों का यह अनौखा और नया ब्लाग साहित्य और छपे हुए शब्दों को ज्यादा दूर तक पहुँचाने की क्षमता रखता है। इस आडियो ब्लाग पर साहित्यिक रचनाओं की सुन्दर ध्वन्यात्मक प्रस्तुतिओं का आनन्द उठाने के लिए आप यहाँ क्लिक कर सकते हैं।

(‘मेरी बात’ के अन्तर्गत आप भी ऐसे किसी नए ब्लाग जो आपको सार्थक और उद्देश्यपरक लगता है, पर अपनी टिप्पणी ‘साहित्य-सृजन’ को भेज सकते हैं)

7 टिप्‍पणियां:

विचार - पुनर्विचार ने कहा…

आपका ब्‍लाग अच्‍छा लगा आप एक सार्थक काम कर रहे हैं

बेनामी ने कहा…

Priy Subhash jee,
Sahitya srijan mein lekh likh kar aapne Radio Sabrang ko chaar chaand lagaa diye hain.Bahut- bahut dhanyavaad aapka.Aapkee lekhnee isee tarah jaadoo dikhaatee rahe.
Shubh kaamnaon sahit.
Pran Sharma
pransharma@talktalk.net

बेनामी ने कहा…

Dhyavaad.achchhaa kaam hai.
meri website bhojpuri-hindi dwibhaashee dekhen--
www.bhojpurihindiparichay.com

ravindranath srivastavaparichydas
parichaydass@rediffmail.com

बेनामी ने कहा…

प्रिय नीरव जी मैं आपके दिये गये ४ साइट देखता-पढता हूं। मगर नॆट पर नया होने के कारण समझ न पाया हूं कि रचनाओं पर अपनी राय कहां लिखूं ।join atom par bhi klick कर देख लिया,कृपया इस विषय मे सहायता करें।आपकी प्रस्तुति मनहर होती है ,इतना समय कैसे निकालतें हैं।बहरहाल बधाई।
श्यामसखा ‘श्याम’
shyamskha@yahoo.com

बेनामी ने कहा…

इस प्रस्तुति के लिए आपको बधाई । मैं केवल रेडियो सबरंग के बारे में जानती थी । आर्ट आव रीडिंग से अपरिचित थी। बहुत सारे लोग इन साइट्स के बारे में अभी नहीं जानते होंगे। भविष्य में भी ऐसी ही सूचनाप्रद प्रस्तुतियों की उम्मीद है।धन्यवाद!

महावीर ने कहा…

जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। चाँद साहिब का 'रेडियो सबरंग' वाक़ई में अनूठापन लिए हुए है। आपको, 'रेडियो सबरंग' के संचालक डेनमार्क के चाँद शुक्ला 'हदियाबादी' और 'प्राण शुक्ला' जी को और साथ ही 'आर्ट आफ़ रीडिंग' के संचालक
मुनीश, इरफ़ान और विकास कुमार को आपके इस खूबसूरत ब्लॉग के ज़रिए मुबारकबाद देता हूं।
महावीर शर्मा

बेनामी ने कहा…

आपका समृद्ध ब्लॉग देखकर बहुत ख़ुशी हुई
आपने जितनी ईमानदारी से 'रेडियॊ सबरंग' के
बारे में तथा अन्य जानकारियां दी हैं वह बेहद
सराहनीय है। द्विजेन्द्र द्विज की ग़ज़ल पढ़कर रहमत
अमरोहवी का शेर याद आ गया-

ग़ज़ल और तंगदामानी का शिकवा !
सलीक़ा हो तो गुंजाइश बड़ी है

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Devmani Pandey (Poet)
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