बुधवार, 14 अक्तूबर 2009

कविता


कात्यायनी की पाँच कविताएँ

(1) कला और सच

कला को
माँजा और निखारा जाय
इस हद तक कि
सच के बारे में
लिखी जा सके
एक सीधी-सादी छोटी-सी
कविता !

(2) बेहतर है...

मौत की दया पर
जीने से
बेहतर है
ज़िन्दा रहने की
ख्वाहिश के हाथों मारा जाना !

(3) ऐसा किया जाए कि...

ऐसा किया जाए कि
एक साज़िश रची जाए।
बारूदी सुरंगे बिछाकर
उड़ा दी जाए
चुप्पी की दुनिया।

(4) बारिश के बाद

दिपदिपाती हैं
पनीली ललछौंह आँखें
जी भर रो लेने के बाद
प्यार से भरकर।

धुले-पुँछे खड़े हैं पेड़
तरोताज़ा, साफ़-दाफ़,
मुस्कुराते-हिलते हैं
नन्हें पौधे जंगली फूलों के
बारिश के बाद।

(5) पुराना अलबम

आसमान से बरसते जुगनू हैं
मम्मी के चेहरे का नूर है
एक झरना है पुराने अलबम में
हँसी की एक लहर
वह एक विस्मृत दोपहर
हवा में उड़ते रुई के फाहे
धुनकी की आवाज़
फुलसुँघनी चिड़िया और खिरनी का पेड़
बारिश की एक शाम में
पकौड़ी खाते
हम सभी दर्ज़न भर भाई-बहन
तूफ़ान और सन्नाटा और भेड़ें
और धूसर नंगे पहाड़
दादी का पायदान और
बुआ का कजरौटा भी मौजूद है
लोगों के बीच
पुरानी अलबम में।

वहाँ एक खाली जगह भी है
पासपोर्ट साइज़
दिल में रिसते नासूर जितना ही
क्षेत्रफल वाला
अपना अपना ढंग है
पुरानी चीज़ों को देखने का
बीत गई बातों पर
सोचने का -
अलबम का अपना
और
मेरा सपना !
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जन्म : 7 मई 1959
शिक्षा : एम.ए., एम.फिल.(हिन्दी)
विगत 24 वर्षों से विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में राजनीतिक-सामाजिक-सांस्कृतिक विषयों पर स्वतंत्र लेखन। लगभग सात वर्षों तक 'नवभारत टाइम्स' और 'स्वतंत्र भारत' की संवाददाता के रूप में भी काम किया। संप्रति : स्वतंत्र लेखन।
कविताएँ हिन्दी की अधिकांश पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कुछ कविताएँ अंग्रेजी, पंजाबी, मराठी, गुजराती में अनुदित-प्रकाशित। आधा दर्जन कहानियाँ प्रकाशित।
चेहरों पर आँच, सात भाइयों के बीच चम्पा, इस पौरुषपूर्ण समय में, जादू नहीं कविता, फुटपाथ पर कुर्सी, राख अँधेरे की बारिश में(सभी कविता संकलन), दुर्ग द्वार पर दस्तक (स्त्री-प्रश्न विषयक निबन्धों का संकलन), षडयंत्ररत् मृतात्माओं के बीच(साम्प्रदायिक, फासीवाद, बुद्धिजीवी प्रश्न और साहित्य की सामाजिक भूमिका पर केन्द्रित निबन्धों का संकलन), कुछ जीवन्त, कुछ ज्वलन्त(समाज, संस्कृति और साहित्य पर केन्द्रित निबन्धों का संकलन), प्रेम, परम्परा और विद्रोह( शोधपरक निबन्ध) प्रकाशित।
समकालीन भारतीय स्त्री कवियों के पेंगुइन द्वारा प्रकाशित संकलन 'इन देयर ओन वॉयस' में कविताएँ शामिल।
क्रान्तिकारी वामपंथी राजनीति से अनुप्रमाणित सामाजिक सक्रियता, सांस्कृतिक मोर्चे व नारी मोर्चे के साथ साथ मज़दूर मोर्चे पर भी सक्रिय।
सम्पर्क : डी-68, निराला नगर, लखनऊ-226020
ई-मेल :katyayani.lko@gmail.com
दूरभाष : 09936650658

2 टिप्‍पणियां:

PRAN SHARMA ने कहा…

KATYAYANI JEE KEE SABHEE KAVITAYEN
ACHCHHEE LAGEE HAIN.BKAUL UNKE HEE
KAHNA CHAAHUNGAA--
KALAA KO MAANJAA AUR NIKHARA JAYE
IS HAD TAK KI
SACH KE BAARE MEIN
LIKHEE JAA SAKE
EK SEEDHEE-SAADEE
CHHOTEE SEE
KAVITA
DEEWALEE MUBAARAK HO
UNHEN.

रूपसिंह चन्देल ने कहा…

कात्यानी जी की कविताएं महत्वपूर्ण हैं.

पुनः बधाई.

चन्देल