सोमवार, 11 मई 2009

भाषांतर



धारावाहिक रूसी उपन्यास(किस्त-7)

हाजी मुराद
लियो तोलस्तोय
हिन्दी अनुवाद : रूपसिंह चंदेल

॥ सात ॥
घायल आवदेयेव को छावनी के निकासी द्वार के निकट के अस्पताल में, जो लकड़ी के एक छोटे-से मकान में था, ले जाया गया और जनरल वार्ड के एक खाली बेड पर लिटा दिया गया। वार्ड में चार मरीज थे। एक सन्निपात-ग्रस्त टायफायड का केस था, और दूसरा निस्तेज, ज्वरग्रस्त, धंसी हुई आँखें, सदैव मरोड़ उठने की आशंका से ग्रस्त और लगातार जम्हुआई लेनेवाला मरीज था । दो और थे जो तीन सप्ताह पहले हुए हमले में घायल हुए थे। एक, जो खड़ा हुआ था, हाथ में और दूसरा; जो बिस्तर पर बैठा हुआ था, कंधे में घायल था। टायफायड वाले मरीज को छोडकर शेष ने नवागन्तुक को घेर लिया और उसे लेकर आने वालों से प्रश्न करने लगे।
'' वे लोग कभी-कभी धुंआधार गोलीबारी करते हैं, लेकिन इस बार उन्होंनें केवल आधा दर्जन बार ही फायर की थी,''- लेकर आने वालों में से एक ने उन्हें बताया ।
''भाग्य की बात है।''
''ओह।'' आवदेयेव दर्द को रोकने का प्रयास करता हुआ कराहा, जब वे उसे बिस्तर पर लेटा रहे थे। जब उन्होनें उसे लेटा दिया, उसने त्योरियाँ चढ़ाई और कराहना बंद कर दिया, लेकिन पैर के कारण बेचैनी अनुभव करता रहा। उसने घाव को अपने हाथों से पकड़ लिया और एकटक अपने सामने की ओर देखने लगा। डाक्टर आया और उन्हें आदेश दिया कि उसे औंधा पलट दें यह देखने के लिए कि क्या गोली पीछे से बाहर निकल गयी थी।
''यह क्या है ?'' डाक्टर ने पीठ और नितम्बों पर बने क्रास के लंबे सफेद निशान की ओर संकेत करते हुए पूछा।
''सर, पुराने घाव का निशान है !'' कराहते हुए आवदेयेव बुदबुदाया।
उसने धन का अपव्यव किया था। उसके लिए उसे जो दण्ड दिया गया था, यह उसीका निशान था।
उन्होंने उसे पुन: पलट दिया, और डाक्टर ने सलाई से उसके पेट में गहराई तक टटोला और गोली तक पहुँच गया, लेकिन उसे निकाल नहीं सका। उसने घाव की ड्रेसिंग की और चिपकनेवाला प्लास्टर चढ़ाया, फिर चला गया। पूरे परीक्षण और घाव की ड्रेसिंग के समय आवदेयेव दांत भींचे और आँखें बंद किये लेटा रहा था। जब डाक्टर चला गया उसने आँखें खोलीं और विस्मय से चारों ओर देखा। उसकी आँखें मरीजों और अर्दली की ओर घूमीं, फिर भी उसे लगा कि वह उन्हें नहीं देख रहा है, बल्कि विस्मित कर देने वाला कुछ और ही देख रहा है।
आवदेयेव के साथी पानोव और सेरेगिन आए हुए थे। वह अचम्भित-सा उन्हें टकटकी लगाकर देखता हुआ, उसी प्रकार लेटा रहा। देर तक वह अपने मित्रों को पहचान नहीं पाया, हालांकि उसकी आँखें सीधे उन्हें ही देख रही थीं।
''पीट, क्या तुम घर से कुछ मंगाना चाहते हो ?'' पानोव ने पूछा।
आवदेयेव ने कोई उत्तर नहीं दिया, हालांकि वह पानोव के चेहरे की ओर ही देख रहा था।
'' मै पूंछ रहा हूँ, तुम घर से कुछ मंगाना चाहते हो ?'' उसके ठण्डे हाथ को स्पर्श करते हुए पानोव पुन: बोला।
आवदेयेव को चेतना वापस लौटती हुई-सी प्रतीत हुई।
''हैलो, अन्तोनिच।''
''हाँ, मैं आ गया। तुम घर से कुछ मंगाना चाहते हो ? सेरेगिन लिख देगा।''
''सेरेगिन,'' कठिनाई से अपनी आँखें सेरेगिन की ओर घुमाते हुए आवदेयेव बोला, ''क्या तुम लिख दोगे ? तब उन्हें यह लिखो - आपका बेटा पीटर मर गया । मुझे अपने भाई से ईर्ष्या थी - यही बात पिछली रात मैं कह रहा था … लेकिन अब मैं प्रसन्न हूँ। ईश्वर उसे सौभाग्यशाली करे। मैं उसकी खुशकिस्मती की कामना करता हूँ। मैं प्रसन्न हूँ। ऐसा ही कुछ लिख दो।”
जब वह यह सब कह चुका, उसने पानोव पर एकटक दृष्टि गड़ायी और लंबी चुप्पी साध ली।
पानोव ने कोई उत्तर नहीं दिया।
''तुम्हारा पाईप, तुम्हारा पाईप, मैं कहता हँ, वह तुम्हें मिल गया ?'' आवदेयेव ने पूछा।
''वह मेरे सामान में था।''
''अच्छा, अच्छा। अब मुझे एक मोमबत्ती दो। मैं मरने वाला हूँ।'' आवदेयेव बोला।
उसी समय पोल्तोरत्स्की उसे देखने आया।
''तुम कैसा अनुभव कर रहे हो … खराब ?'' वह बोला।
आवदेयेव ने आँखें बंद कर लीं और सिर हिलाया। उसका दुबला चेहरा निष्प्रभ और कठोर था। उसने उत्तर नहीं दिया, लेकिन पानोव से पुन: बोला:
''मुझे मोमबत्ती दो, मैं मरने वाला हूँ।''
उन्होने एक मोमबत्ती उसके हाथ में रख दी, लेकिन यह सोचकर कि उसकी उंगलियाँ उसे पकड़ नहीं पायेगीं, उन्होंने मोमबत्ती उसकी उंगलियों के बीच में रखा और उसे थामे रहे। पोल्तोरत्स्की कमरे से बाहर चला गया और उसके जाने के पाँच मिनट बाद अर्दली ने आवदेयेव के हृदय के पास कान लगाया और कहा कि वह मर गया।
तिफ्लिस को जो रिपोर्ट भेजी गई उसमें आवदेयेव की मृत्यु का विवरण इस प्रकार दिया गया था- ''23 नवम्बर को कुरियन बटालियन की दो कम्पनियाँ जंगल साफ करने के लिए छावनी से गयी थीं। वृक्ष काटने वालों पर आक्रमण कर दिया। अग्रिम चौकी पर तैनात दलों ने वापस लौटना प्रारंभ कर दिया, जब कि दूसरी कम्पनी ने संगीनों से धावा बोल दिया और कबीलाइयों को खदेड़ दिया। युद्ध के दौरान हमारे दो सिपाही सामान्य रूप से घायल हुए थे और एक की मृत्यु हो गयी थी। कबीलाइयों के लगभग सौ लोग हताहत हुए थे।''
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(क्रमश: जारी…)

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